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डॉक्टर अंबेडकर के इतिहास का एक सच्चा पन्ना ।









1) पहली बात ये है की डॉक्टर अंबेडकर के पिताजी रामजी राव सकपाल अंग्रेजों की फौज में मेजर सूबेदार थे, और उनके दादाजी मालोजी सकपाल अंग्रेजों की फौज बॉम्बे आर्मी, ईस्ट इंडिया कंपनी में रिटायर्ड हवलदार थे।             

2) डॉक्टर अंबेडकर के पिताजी मिलिट्री स्कूल के टीचर और हेड मास्टर रह चुके थे, और बहुत ही अच्छी ब्रिटिश इंग्लिश बोलते थे और वे वेल क्वालिफाइड थे । उन्होंने "आर्मी नॉर्मल स्कूल- पूना " से टीचिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया था।

3) ऐसे ऊंचे पद पर कार्य करने वालों का बच्चा अशिक्षित नही रह सकता। 

4) यदि आपकी बात, की ब्राह्मण ने पढ़ाया स्वीकार करें, तो उस भीमराव अंबेडकर को क्लास के बाहर जूतों में बैठ कर पड़ना पड़ता था।

5) वैसे मैंने सुना है, पढ़ाई का मतलब तो यही होता है की सबके साथ क्लास में बैठाकर पढ़ाने को पढ़ाना कहते हैं,ना की जूतों में बैठाकर।

6) गुरु के लिए सब सामान होते हैं, परंतु वे एक को क्लास के बाहर जूतों  में  जहां शिक्षा का अ ब क भी दिखाई नहीं पड़ता और दूसरों को क्लास के भीतर जहां लोग शिक्षा को देख सकते हैं,सुन सकते हैं, वे इसप्रकार पढ़ाते थे।

7) इसे पढ़ाना नही, एक नीची जाति के बच्चे का शोषण कहते हैं।

8) इससे समझ आता है की ब्राह्मण की पढ़ाई किस प्रकार की होगी और अंबेडकर के पिता की पढ़ाई किस प्रकार की होगी।

9) और रही बात अंबेडकर सर नेम की तो, डॉक्टर अंबेडकर का मूल गांव अंबावडे होने की वजह से उनके शिक्षक ने उनके नाम के आगे सकपाल न जोड़कर अंबावडेकर जोड दिया, जो की अंबावडे गांव का ही अलग रूप है, उसके पश्चात अंबेडकर। अपनी सुविधा के लिए किया गया प्रपंच था और कुछ नही, जहां पहले सकपाल बोल रहे थे, अब अंबेडकर; पर बात वही की वही।

10) इसी उदाहरण के स्वरूप में बताना चाहूंगी की आज आपको ऐसे बहुत से कलाकार मिल जायेंगे, जो अपने नाम के आगे, अपने गांव का नाम लगाते हैं - जैसे पद्मिनी कोल्हापुरी, दीपिका पादुकोण, आदि, पर इससे उनके गोत्र का कोई संबंध नहीं है।

11) स्कूल जाना उनकी मजबूरी थी, क्योंकि वहीं से मैट्रिक पास का रिजल्ट मिलता, अन्यथा पढ़ाई का संबंध नहीं था वहां से, उनकी मजबूरी थी।

12) आपकी जानकारी के लिए आपको बता दूं के उनके पिताजी बहुत ही अनुशासित थे और उन्होंने भीमराव अंबेडकर जी को बचपन में ही गीता, महाभारत, रामायण आदि पाठ कराए थे और अन्य बौद्ध धर्म के ग्रंथ भी।

13) तो इससे स्पष्ट होता है, उनकी शिक्षा में ब्राह्मण का योगदान नहीं उनके पिताजी का था।

14) उनके सिर्फ तीन ही गुरु थे भगवान बुद्ध, संत कबीर, और महात्मा ज्योतिबा फुले।

15) और जहां तक ब्राह्मण स्त्री से शादी करने की बात कह रहे हैं, तो यह सत्य है सविता अंबेडकर जी - डॉक्टर अंबेडकर जी की नर्स थीं और उनसे उन्हें कोई बच्चे नहीं थे। और शादी के संबंध में बात ये है की सविता अंबेडकर जी ने शादी भीमराव अंबेडकर जी से नही की थी, बल्कि इस आधुनिक भारत के संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी से की थी। उस साधारण से दिखने वाले बालक भीमराव से बाल्य अवस्था में माता रमाबाई अंबेडकर जी ने की थी और उसका साथ देते देते अंत में मृत्यु को प्राप्त हो गईं। और उन्ही से डॉक्टर अंबेडकर जी के बच्चे थे।

16) शादी, डॉक्टर अंबेडकर जी की कामयाबी की चमक को देखकर हुई थी। और उनकी जगह कोई और स्त्री हो या अन्य किसी और धर्म की हो, तो ऐसा करना आश्चर्य तो नहीं है।

17) और डॉक्टर अंबेडकर ने इसे इसलिए स्वीकार किया क्योंकि उनकी तबियत खराब चल रही थी और वे खुदका ध्यान नहीं रख पा रहे थे। सविता अंबेडकर जी उनकी नर्स थीं जो उनकी देख रेख कर रहीं थीं। इसे स्वीकार कर उन्होंने अपने लिखे संविधान में इंटर कास्ट मैरिज के प्रावधान को अपने ऊपर लागू करने वाले पहले बड़े उदाहरण बने। वरना जातिवाद के कारण लोगों में एक दूसरे के प्रति जितनी नफरत है उससे नरसंहार  होने में कोई आश्चर्य की बात नही है।

18) इन सब में ब्राह्मण का उनकी कामयाबी में बड़ा योगदान हो, ऐसा कहीं दिखाई तो पड़ता नही।

19) हां यह सत्य है की ब्राह्मण, उनके प्रति सहानुभूति और शत्रुता के भाव रखते थे, परंतु अपने समाज के विरुद्ध खड़े होकर उनकी कामयाबी में कोई बड़ी भूमिका निभाई हो, ऐसा कहीं भी नही है।

20) सहानुभूति और सहायता में क्या फर्क होता है, ये तो आप खुद भी बहुत अच्छी तरह जानते होंगे।

21) सहानुभूति और शत्रुता तो आम बात है, क्योंकि ऐसा तो उनसे बहुत लोग करते थे।

अंत मे सिर्फ इतना ही, इस छोटे से प्रयास से अगर अपने मस्तिष्क में डॉक्टर आंबेडकर के प्रति सही दृष्टिकोण में स्पष्टता हुई हो, तो में खुद को धन्यभागी समझूंगा। आपका जीवन मंगलमय हो ऐसी मेरी कामना है; 

जय भीम। जय भारत। 

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