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५ मस्तिष्क के लिए महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधियां।

 

1)     अश्वगंधा














अश्वगंधा एक झाड़ीदार पौधा होता है। इसकी जड़ों में बहुत से पौष्टिक तत्व होते हैं। अश्वगंधा के बीज, फल एवं छाल का विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। यह मधुमेह से पीड़ित लोगों में मोतियाबिंद जैसी समस्या पर भी लगाम लगाता है।

       अश्वगंधा का वैज्ञानिक नाम विथानिया सोम्नीफेरा है और इसे विंटर चैरी और इंडियन गिनसेंग के नाम से जाना जाता है। यह आमतौर पर भारत और उत्तरी अफ्रीका में उगाया जाता है। अश्वगंधा एक तरह की औषधि है, जो कई तरह की लाइलाज बीमारियों में कारगर मानी गयी है। आपने भी अश्वगंधा के कई फायदों के बारे में सुना होगा। आज हम आपको इससे जुड़े फायदों और नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं।

अश्वगंधा ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है। कई अध्ययनों में इस बात को साबित किया जा चुका है। इसमें ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स और ऐंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती हैं।

1) अश्वगंधा कैंसर की रोकथाम में भी मदद करता है। कई स्टडीज में यह दावा किया जा चुका है कि अश्वगंधा कैंसर सेल्स की ग्रोथ और प्रॉडक्शन पर लगाम लगाता है।

2) जिन महिलाओं में सफेद पानी जाने की समस्या होती है, उसमें भी अश्वगंधा को कारगर माना गया है। इसके अलावा यह महिलाओं और पुरुषों दोनों में फर्टिलिटी को बढ़ावा देने में मदद करता है। साथ ही यह स्पर्म क्वॉलिटी को सुधारने में भी मदद करता है।

3) अश्वगंधा को हाइपरटेंशन में भी लाभकारी माना गया है। इसके लिए अश्वगंधा का नियमित सेवन करना चाहिए। लेकिन जिन लोगों का ब्लड प्रेशर कम रहता है, उन्हें अश्वगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए।

4) जिन्हें गहरी नींद नहीं आती उन्हें अश्वगंधा का खीर पाक खाना चाहिए। अश्वगंधा स्वाभाविक नींद लाने की दवा की तरह काम करता है। इसके अलावा पेट से जुड़ी परेशानियों को भी दूर करने में मदद करता है। इसके लिए अश्वगंधा, मिश्री और थोड़ी सोंठ को बराबर अनुपात में मिलाकर गर्म पानी के साथ लें।

5) अगर पुरुषों में यौन क्षमता की कमी है और वे यौन सुख नहीं ले पाते तो फिर अश्वगंधा का सेवन करें। यह न सिर्फ यौन क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करता है बल्कि सीमन की क्वॉलिटी भी सुधारता है।

 

ध्यान रखें: अश्वगंधा का सेवन सीमित मात्रा में ही करें। अत्यधिक सेवन से न सिर्फ उल्टियां हो सकती हैं बल्कि पेट गड़बड़ हो सकता है। लो ब्लड प्रेशर वाले लोग इसे न खाएं। नींद न आने पर अश्वगंधा का इस्तेमाल कुछ हद तक सही है, लेकिन नींद बुलाने के लिए इसका नियमित सेवन नुकसानदेह साबित हो सकता है।

 

 

 

2)     हल्दी









हल्दी (Turmeric) के फायदे व नुकसान- हल्दी एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी है, जिसे उसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है। आयुर्वेद में हल्दी का इस्तेमाल अनेक स्वास्थ्य रोगों का इलाज करने के लिए और रसोई के व्यंजनों में खुशबू व रंग देने के लिए किया जाता है।

हल्दी को एक शक्तिशाली हर्ब और मसाले के रूप में जाना जाता है, जो करक्यूमा लोंगा (Curcuma longa) नामक पौधे की जड़ होती है। हल्दी का अंग्रेजी नाम टरमरिक (Turmeric) और इसे इंडियन सैफ्रॉन (Indian saffron) के नाम से भी जाना जाता है।


हल्दी के के फायदे (Benefits of Turmeric)

आयुर्वेद व अन्य कई चिकित्सा प्रणालियों में हल्दी को एक रोगनाशक औषधि के रूप में जाना जाता है। इतना ही नहीं इसमें करक्यूमिनोइड्स (Curcuminoids) व अन्य कई शक्तिशाली तत्व पाए जाते हैं, जिनसे निम्न स्वास्थ्य मिल सकते हैं

1. सूजन व लालिमा कम करे हल्दी।

कई प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों और घरेलू उपचारों में हल्दी को सूजन व लालिमा जैसी त्वचा समस्याओं का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार हल्दी में करक्यूमिन (Curcumin) शक्तिशाली एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन व लालिमा को कम करने में मदद कर सकते हैं।

2. हल्दी का सेवन करे दर्द को कम।

हल्दी पर कुछ अध्ययन किए गए जिनमें पाया गया कि हल्दी का सेवन करने से मस्तिष्क शांत होता है और शरीर में होने वाले दर्द भी कम होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में कोई चोट लगने पर गर्म दूध में हल्दी डालकर पीना चाहिए।

3. हल्दी रखे लिवर को स्वस्थ।

हल्दी में कई शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो लीवर को विषाक्त पदार्थों से क्षतिग्रस्त होने से रोकते हैं। नियमित रूप से हल्दी का सेवन करने से लीवर को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।

4. पाचन बढ़ाने में मदद करे हल्दी।

जिन लोगों को पेट संबंधी समस्याएं हैं, उनके लिए हल्दी का सेवन करना लाभदायक हो सकता है। हल्दी में कई ऐसे सक्रिय तत्व पाए जाते हैं, जो पेट को स्वस्थ रखते हैं और परिणामस्वरूप पाचन क्रिया में सुधार होता है।

5. अवसाद कम करने में मदद करे हल्दी।

हल्दी में पाया जाने वाला शक्तिशाली तत्व करक्यूमिन न सिर्फ लीवर व त्वचा को स्वस्थ रखता है इससे मानसिक स्वासथ्य बनाए रखने में भी मदद मिलती है। अधिकतर अध्ययनों में यह भी पाया गया कि उचित मात्रा में हल्दी का सेवन करते रहने से अवसाद जैसी स्थितियों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।

उपरोक्त बताए हल्दी के लाभ पूरी तरह से अध्ययनों पर ही आधारित हैं। हर व्यक्ति के शरीर में हल्दी अलग तरीके से काम कर सकती है। हल्दी की मदद से किसी भी स्वास्थ्य समस्या का उपचार करने से पहले अपने डॉक्टर से एक बार सलाह अवश्य लें।



हल्दी के साइड इफेक्ट (Side effects of Turmeric)

यदि खाद्य पदार्थों में एक मसाले के रूप में मिलाकर उचित मात्रा में हल्दी का सेवन किया जाए तो इसे स्वास्थ्य की नजर से सुरक्षित माना गया है। हालांकि, सामान्य से अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से स्वास्थ्य पर निम्न विपरीत प्रभाव पड़ सकते हैं।

1)  हल्दी में मौजूद कुछ तत्व ऐसे हैं जिन्हें उचित मात्रा में लेने पर वे स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं। इसके विपरीत यदि अधिक मात्रा में सेवन किया जा रहा है, तो यही तत्व पेट में दर्द, सीने में जलन व दस्त जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

2)  कुछ अध्ययन बताते है कि हल्दी का अत्यधिक सेवन करने से यह रक्त को पतला कर सकती है, जिससे ब्लीडिंग व मसूड़ों से खून आना आदि समस्याएं हो सकती हैं।

हल्दी का उपयोग कैसे करें (How to use Turmeric)

हल्दी के गुणों को देखते हुए इसके इस्तेमाल भी अनेक है, इसे व्यंजनों में रंग, खुशबू और स्वाद को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। हजारों सालों से हल्दी का इस्तेमाल अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता है। हल्दी का इस्तेमाल निम्न तरीके से किया जा सकता है।

1)  एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर।

2) कढ़ी या अन्य सब्जियों में डालकर।

3)  एक गिलास गर्म पानी में डालकर।



3) ब्राह्मी







आयुर्वेद में हर तरह की बीमारी का संपूर्ण ईलाज मौजूद है। प्राकृतिक औषधियों के प्रयोग से कई तरह के असाध्य रोगों को साधने में आयुर्वेद ने सफलता पाई है। इन्हीं प्राकृतिक औषधियों में से एक औषधि है ब्राह्मी। ब्राह्मी कोब्रेन बूस्टरके नाम से भी जाना जाता है। यह गीली मिट्टी में अपने आप उगती है। इसमें छोटे-छोटे पर्पल या फिर सफेद फूल भी लगते हैं, जिनमें ज्यादा से ज्यादा पांच पंखुड़ियां होती हैं। फूलों सहित यह पौधा गुणकारी औषधि के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। ब्राह्मी याद्दाश्त बढ़ाने का बेहतरीन निदान है। यह दिमाग के तीनों पहलुओं शॉर्ट टर्म मेमोरी, लांग टर्म मेमोरी और याद्दाश्त को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

 

आज हम ब्राह्मी के कई अन्य फायदों के बारे में  बताने जा रहे हैं।

1. ब्राह्मी कोर्टिसोल के स्तर को कम करने के लिए जानी जाती है, जो कि एक स्ट्रेस हार्मोन है। इसका प्रयोग तनाव और चिंता को कम करने के लिए किया जाता है। यह तनाव के प्रभावों को खत्म करने का काम करता है।

2. ब्राह्मी में एमिलॉइड यौगिक के पाए जाने की वजह से यह अल्जाइमर्स की बीमारी में काफी फायदेमंद होता है। इसके अलावा यह अल्जाइमर की वजह से दिमाग को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करता है।

3. ब्राह्मी में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो कि एक स्वस्थ जीवन के लिए बेहद जरूरी है। यह शरीर के उन तत्वों को जड़ से खत्म करने का काम करता है जो कैंसर सेल्स को बढ़ने में मदद करते हैं।

4. ब्राह्मी के नियमित सेवन से पाचन संबंधी दिक्कतें भी दूर होती हैं, तथा पाचन तंत्र काफी मजबूत हो जाता है।

5. ब्राह्मी आर्थराइटिस से आराम पाने के लिए बेहतरीन नुस्खा है। इसके साथ- साथ यह गैस्ट्रिक अल्सर और बॉउल सिंड्रोम से भी बचाव करने में हमारी मदद करता है।

6. शरीर में ब्लड शुगर लेवल को सही तरीके से रेगुलेट करने में भी ब्राह्मी अहम योगदान देता है। इसके साथ ही साथ यह हाइपोग्लिसीमिया के लक्षणों से भी आराम दिलाने में सहायक है।

7. बालों में डैंड्रफ या फिर खुजली की समस्या भी ब्राह्मी के प्रयोग से ठीक हो सकती है। तमाम तरह की सौंदर्य समस्याओं में ब्राह्मी का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकालने का काम करते हैं।

 

 

4)      शंखपुष्पी










शंखपुष्पी बेहद सुंदर फूलों वाला पौधा है और इसका इस्तेमाल कोन्वोल्वुलस प्लूरीकॉलिस (Convolvulus Pluricaulis) हैं। इसके फूलों की आकृति एक शंख के समान होती है, जिनके आधार पर ही इसका नाम शंखपुष्पी पड़ा। शंखपुष्पी आयुर्वेदिक गुणों वाली एक खास जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल आयुर्वेद में हजारों सालों से अनेक स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जा रहा है। इतना ही नहीं घरों में भी शंखपुष्पी का इस्तेमाल एक घरेलू नुस्खे के रूप में किया जाता है। आजकल मार्केट में शंखपुष्पी, रस, चूर्ण अन्य उत्पादों के रूप में आसानी से मिल जाता है।

शंखपुष्पी के फायदे (Benefits of Convolvulus pluricaulis)

शंखपुष्पी अनेक स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरपूर होता है, जिनमें प्राप्त होने वाले स्वास्थ्य लाभों में प्रमुख रूप से निम्न शामिल है।

1. शंखपुष्पी से बढ़ाएं मानसिक शक्ति।

आयुर्वेद के अनुसार शंखपुष्पी में मौजूद ऑक्सीडेंट्स और फ्लैवोनॉइड मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं, जिससे सोचने समझने की क्षमता बढ़ती है और याददाश्त भी मजबूत होती है।

2. शंखपुष्पी करता है हृदय के स्वास्थ्य में सुधार।

शंखपुष्पी में खास प्रकार के तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में रक्त को पतला करने में मदद करते हैं जिससे हृदय पर पड़ने वाला दबाव कम हो जाता है। साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में भी लाभदायक हो सकता है।

3. पाचन प्रणाली सक्रिय बनाए शंखपुष्पी।

शंखपुष्पी पेट में जाकर पाचक रस के स्राव को उत्तेजित कर देता है, जिससे खाया गया भोजन आसानी से पचने लगता है। साथ ही शंखपुष्पी से कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है।

4. त्वचा रोगों का इलाज करे शंखपुष्पी।

शंखपुष्पी में खास प्रकार के एंटी इंफ्लेमेटरी एंटी एलर्जिक गुण भी पाए जाते हैं, जो त्वचा में होने वाली सूजन लालिमा का इलाज करने में मदद करते हैं। साथ ही कई प्रकार के संक्रमणों का इलाज करने में भी शंखपुष्पी प्रभावी हो सकता है।

हालांकि, शंखपुष्पी से प्राप्त होने वाले उपरोक्त लाभ आमतौर पर प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों और घरेलू उपचारों पर निर्भर करते हैं। हर व्यक्ति के शरीर के अनुसार इसका प्रभाव अलग हो सकता है।

 

शंखपुष्पी के नुकसान (SIde effects of Convolvulus Pluricaulis)

आयुर्वेद के अनुसार यदि एक निश्चित मात्रा में शंखपुष्पी का इस्तेमाल किया जा रहा है तो यह आमतौर पर सुरक्षित रहता है। हालांकि, इसका अधिक सेवन करने से निम्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं

i)        पेट में दर्द या ऐंठन होना।

ii)       सिर दर्द या चक्कर आना।

iii)     सीने में जलन।

iv)     जी मिचलाना या उल्टी।

v)      एलर्जी होना।

हालांकि, गर्भवती महिलाओं अन्य रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों को इससे गंभीर लक्षण भी हो सकते हैं।

शंखपुष्पी का उपयोग कैसे करें (How to use Convolvulus Pluricaulis)

शंखपुष्पी का इस्तेमाल निम्न तरीके से किया जा सकता है

i)        काढ़ा बनाकर।

ii)       इसके पत्तों या तने के रस को गुनगुने पानी में मिलाकर।

iii)     अन्य सब्जियों में डालकर।

iv)     कैप्सूल या अन्य किसी प्रोडक्ट के रूप में।हालांकि, आपको कितनी मात्रा में और किस प्रकार शंखपु


5) गोटू कोला












 Gotu Kola Benefits सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है कि आखिर गोटू कोला क्या चीज़ है। आपको बता दें कि यह एक तरह का पौधा है जिसका इस्तेमाल आज से नहीं बल्कि प्राचीन समय से किया जा रहा है। इसका वैज्ञानिक नाम Centella asiatica है।

सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी औषधीय गुणों वाले पौधों और पेड़ों का इस्तेमाल स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता है। अगर बात करें भारत की तो यहां आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल सदियों से होता रहा है। यहां तक कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान भी खासतौर पर इम्यूनिटी लिए आयुर्वेद का सहारा लिया गया। आप अश्वगंधा के बारे में काफी जानते होंगे, लेकिन क्या आपने कभी गोटू कोला के बारे में सुना है? जी ये भी एक तरह की औषधि ही है, जिसका इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।

क्या है ये गोटू कोला?

सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है कि आखिर गोटू कोला क्या चीज़ है। आपको बता दें कि यह एक तरह का पौधा है, जिसका इस्तेमाल आज से नहीं बल्कि प्राचीन समय से किया जा रहा है। इसका वैज्ञानिक नाम सेंटेला आस्टीटिका (Centella asiatica) है। इसे ब्राह्मी बूटी या मण्डूकपर्णी भी कहते हैं। इसकी पत्तियां हरे रंग की होती हैं और इसमें बैंगनी, गुलाबी या फिर सफेद रंग के फूल आते हैं।

 

गोटू कोला के अनेक फायदे।

1. गोटू कोला के इस्तेमाल से आपका दिमाग़ तेज़ होता है। ये ध्यान लगाने और एकाग्रचित होने में काफी मददगार होता है।

2. कई तरह की रिसर्च में साबित हो चुका है कि गोटू कोला चिंता के लक्षणों और उससे होने वाली समस्याओं को दूर करने का काम भी करकता है।

3. एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार गोटू कोला में टोटल फेनोलिक कंटेंट की उच्च मात्रा में पाई जाती है। जो हाईपरटेंशन में मददगार साबित हो सकता है।

4. गोटू कोला में मौजूद एंटीअल्सर गुण पेट के अल्सर से राहत दिलाते हैं।

5. गोटू कोला के कई फायदों में से एक है घाव भरना भी है। घाव पर गोटू कोला का लेप लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।

गोटू कोला का उपयोग ऐसे करें।

गोटू कोला का कभी भी सीधे उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। आप इसका सप्लीमेंट या अर्क के रूप में सेवन कर सकते हैं। वहीं, त्वचा के लिए गोटू कोला युक्त क्रीम या फिर लेप का इस्तेमाल किया जाता है।

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